हम क्यों अपना कल बदलना चाहते हैं ? क्यों अपने आने वाले कल से घबराते हैं ? क्यों अपने सवालों के जवाब दूसरो से सुनना चाहते हैं ? क्यों खुद से छुप कर लोगो की तलाश में निकल जाते हैं ? इस 'क्यों' को कब तक साथ लेकर चलेंगे ? अब कुछ ही वर्ष बचे हैं कब तक उसी अंधकार में रहेंगे हम ? हमें छोड़ कर जाना फैसला था उनका , क्यों उनके यादों में जीना बन गई हमारी मज़बूरी ? सब कुछ ठीक सा था , फिर क्यों बना ली हमने सबसे दूरी ? दूसरो के सपने पूरे करते करते खुद की नींद कुचल दी हमने । महान बनने की चाहत में खुद से नफ़रत कर ली हमने । क्यों किसी से मिलते ही उनसे अलग होने का सोचते है हम ? क्यों खुद को खत्म होते देख दूसरो को जोड़ते है हम ? कब तक इस 'क्यों' के बीच छुपे रहेंगे ? अब कुछ ही वर्ष बचे हैं कब तक आंखें बन्द रखेंगे हम ? खुद को धोखे में रख उसका विश्वास जीत लिया हमने । उसके खुशी के व्यापार में अपना जीवन बेच दिया हमने । बदले में तो कुछ उम्मीद थी नहीं , फिर क्यों उसके इंतज़ार में परछाइयों से दोस्ती कर ली हमने ? कब तक इस 'क्यों' का जवाब ढूंढेगे ? अब कुछ ही व...
"Biglychain" means huge chain where the term bigly is defined as an adverb meaning "in a big manner" or, "in a swelling blustering manner". This blog is about creativity, motivation and knowledge where we share our ideas and perception in various fields through our pictures and writings in both Hindi and English language. Biglychain is always open to new ideas as we believe in imagination without limitation!