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Showing posts from November, 2018

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क्यों ?

हम क्यों अपना कल बदलना चाहते हैं ? क्यों अपने आने वाले कल से घबराते हैं ? क्यों अपने सवालों के जवाब दूसरो से सुनना चाहते हैं ? क्यों खुद से छुप कर लोगो की तलाश में निकल जाते हैं ? इस 'क्यों' को कब तक साथ लेकर चलेंगे ? अब कुछ ही वर्ष बचे हैं कब तक उसी अंधकार में रहेंगे हम ? हमें छोड़ कर जाना फैसला था उनका , क्यों उनके यादों में जीना बन गई हमारी मज़बूरी ? सब कुछ ठीक सा था , फिर क्यों बना ली हमने सबसे दूरी ?  दूसरो के सपने पूरे करते करते खुद की नींद कुचल दी हमने । महान बनने की चाहत में खुद से नफ़रत कर ली हमने । क्यों किसी से मिलते ही उनसे अलग होने का सोचते है हम ? क्यों खुद को खत्म होते देख दूसरो को जोड़ते है हम ? कब तक इस 'क्यों' के बीच छुपे रहेंगे ? अब कुछ ही वर्ष बचे हैं कब तक आंखें बन्द रखेंगे हम ? खुद को धोखे में रख उसका विश्वास जीत लिया हमने । उसके खुशी के व्यापार में अपना जीवन बेच दिया हमने । बदले में तो कुछ उम्मीद थी नहीं , फिर क्यों उसके इंतज़ार में परछाइयों से दोस्ती कर ली हमने ? कब तक इस 'क्यों' का जवाब ढूंढेगे ? अब कुछ ही व...

Magical Dream

I Hated... I Hated watching people holding hands, Walking while smiling like a child. I Hated how they looked at each other with that smirk in their eyes. I Hated... Until I came across something magical. I Hated, how two people are so much in love that they don't care what others think about them . I Hated, how two people care so deeply about each other that one's eyes gets soaked with water when other's hand felt pain. I Hated... Until I came across something magical . I Hated looking at couples, I used to make fun of them. I Hated seeing them so comfortable around each other. I used to find it fake. I Hated all of those lovely "LOVE" they talk about . I Hated everything that stories and movies tried us to taught. Because I always believed that it was not made for me. Because I believed that there is no one in this world with whom I can share my smile, With whom I can hold hands and walk through this life. I still have these thoughts. ...

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