अब तो तुम बस ख्वाबों में ही बात करना
क्योंकि अब तुम मुझसे नज़र मिलाने के काबिल नही
क्या चलते चलते आज भी रहो में रुक जाती हो तुम
क्या उसकी भी जुल्फे मेरी ज़ुल्फो के तरह सुलझती हो तुम
क्या वो भी मेरे तरह तुम्हारी आँखों की तारीफ करता है
क्या आज भी उन तारीफों को सुने के शरमाती हो तुम
अब तो तुम बस ख्वाबों में बात करना
क्योंकि अब तुम मुझसे नज़र मिलाने के काबिल नही
क्या आज भी तुम हर बातो पे 100 की सरत लगाती हो क्या
क्या उसे भी अचानक से देख के मुस्कुराती हो तुम
क्या वो भी तुम्हारे लिए अपने ख्वाहिश को टालता है
क्या उसको देख उसकी हर एक बात जान जाती हो तुम
अब तो तुम बस ख्वाबों में ही बात करना
क्योंकि अब तुम मुझसे नज़र मिलाने के काबिल नही
क्या अंधेरो में जैसे मेरा हाथ पकड़ती थी वैसे उसका हाथ भी पकड़ती हो तुम
क्या उसके हर एक गलतियो में रूठ जाती हो तुम
क्या उसने भी तुम्हारे कमर पे वे तिल देखा है
क्या बारिशो में जैसेें मेरे पास आती थी वैसे उसके पास जाती हो तुम
अब तो तुम बस ख्वाबों ही बात करना
क्योंकि अब तुम मुझसे नज़र मिलाने के काबिल नही ।।
-- suraj pandey
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