एक पहेली हैं वह,
न कोई समझ सका,
न कोई समझ पाएगा।
अतरंगी नकखरे हैं उसके,
एक पल में गुस्सा, तो कभी एक पल में खुश हो जाती हैं,
कभी बच्चो जैसी मासूम,तो कभी बड़ों जैसी हुक्म चलाती है,
कभी पंछी जैसी उड़ने की चाह, तो कभी शेरनी जैसी दहाड़ लगाने की चाह रखती है,
वह लहरों के जैसी अपनी धुन में बहती है,
वह उस सावान जैसी है,जो सबके जीवन में बाहार ले अाती है,
किसी की दिल की सुकून, तो किसी की जुनून है वह,
किसी की परछाई,तो किसी का मान है वह।
कुछ ऐसी पहेली है वह,
न कोई समझ सका,
और न कोई समझ पाएगा।
न कोई समझ सका,
न कोई समझ पाएगा।
अतरंगी नकखरे हैं उसके,
एक पल में गुस्सा, तो कभी एक पल में खुश हो जाती हैं,
कभी बच्चो जैसी मासूम,तो कभी बड़ों जैसी हुक्म चलाती है,
कभी पंछी जैसी उड़ने की चाह, तो कभी शेरनी जैसी दहाड़ लगाने की चाह रखती है,
वह लहरों के जैसी अपनी धुन में बहती है,
वह उस सावान जैसी है,जो सबके जीवन में बाहार ले अाती है,
किसी की दिल की सुकून, तो किसी की जुनून है वह,
किसी की परछाई,तो किसी का मान है वह।
कुछ ऐसी पहेली है वह,
न कोई समझ सका,
और न कोई समझ पाएगा।
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