लोग कहते हैं क्या कमाल लिखता हूँ,
जिनके जवाब नहीं मालूम वो सवाल लिखता हूँ,
कुछ ज़ख्मों के इलाज़ लिखता हूं,
कुछ हसीं ख्वाब लिखता हूँ,
लिखता हूँ उसके दिल की गहराई,
कुछ उनमे छुपे ज़ज़्बात लिखता हूँ,
बुझते चिरागों की रौशनी लिखता हूँ,
बूढी नदियों की रवानी लिखता हूँ,
किसी तकलीफ का सबब लिखता हूँ,
उनसे जगी तलब लिखता हूँ,
मेरे नाम की मेहँदी की लाली लिखता हूँ,
वो आखिरी ज़ाम की प्याली लिखता हूँ,
वापिस आने की तमन्ना लिखता हूँ,
जो न हो सका कभी उसे अपना लिखता हूँ,
बस इतनी ही है मेरी दुनिया,
जिसे आज भी मैं इक़बाल लिखता हूँ,
लोग कहते हैं क्या कमाल लिखता हूँ...
इक़बाल=धन,दौलत
Sahi kehtey hai log ki kamal likhta hai tu
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