किसी ने बड़े प्यार से
मुझे इस compliment से सजाया
यार.. तुम्हें मैंने
निहायत ‘artificial’ सा पाया...
शर्माकर मुस्कुराकर
मैंने भी नज़ाकत से फ़रमाया
अरे भई! मिलावट का ज़माना है
शुद्ध friendship का नारा
मैंने कब लगाया?
मिलाया मैंने प्यार में थोड़ा सा ग़ुस्सा
और ग़ुस्से में प्यार भी झलकाया
हँस के बोली कभी
तो आँसुओं को भी दबाया
फटकार कभी लगायी दोस्तों सी
तो माँ जैसा प्यार भी जताया
बनाया तुम्हें गुरु कभी
कभी lecture ka घूँट पिलाया
Down हुई में कभी
Spirits को तुमने lift कराया
फिसले तुम कभी
तो साथ मेरा पाया!
शायद deserve किया
इस compliment को
Tumne बिलकुल सच्चा सहराया
पर इस नुकते ने
मेरे दिल को
थोड़ा तड़पाया
थोड़ा रुलाया
ढूँढने चली थी साथी सच्चा
मिलावट की बारिश ने सब धो मिटाया!
- NIDHI BANSAL
मुझे इस compliment से सजाया
यार.. तुम्हें मैंने
निहायत ‘artificial’ सा पाया...
शर्माकर मुस्कुराकर
मैंने भी नज़ाकत से फ़रमाया
अरे भई! मिलावट का ज़माना है
शुद्ध friendship का नारा
मैंने कब लगाया?
मिलाया मैंने प्यार में थोड़ा सा ग़ुस्सा
और ग़ुस्से में प्यार भी झलकाया
हँस के बोली कभी
तो आँसुओं को भी दबाया
फटकार कभी लगायी दोस्तों सी
तो माँ जैसा प्यार भी जताया
बनाया तुम्हें गुरु कभी
कभी lecture ka घूँट पिलाया
Down हुई में कभी
Spirits को तुमने lift कराया
फिसले तुम कभी
तो साथ मेरा पाया!
शायद deserve किया
इस compliment को
Tumne बिलकुल सच्चा सहराया
पर इस नुकते ने
मेरे दिल को
थोड़ा तड़पाया
थोड़ा रुलाया
ढूँढने चली थी साथी सच्चा
मिलावट की बारिश ने सब धो मिटाया!
- NIDHI BANSAL
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