माला
मंगल ध्वनी में जब गले की शोभा बन जाऊं
तो वरमाला कहलाऊं।
लजाती सेज पर जब सजाई जाऊं
तो सखी की सरबाला कहलाऊं।
प्रभु चरणों में जब अर्पण हो जाऊं
दैविक रूप अपनाऊं।
जीवांत पर जब चढ़ाई जाऊं
तो शोक में डूब जाऊं।
महलों की शान में जब सजाई जाऊं
तो अभिमानी कहलाऊं।
मंदिरों में शोभायमान हो जाऊं
तो भक्तिनी कहलाऊं।
विजयनाद में जब पहनाई जाऊं
गौरव का प्रतीक मानी जाऊं।
परास्त में जब रोंदी जाऊं
तो धूमिल हो जाऊं।
एक ही जीवन में
न जाने कितने ही रंग रूप पाऊं,
एक साथ
भिन्न-भिन्न अनेक पात्र खेल जाऊं।
हर अभिनय में फिर भी
एक ही इच्छा मन में रख पाऊं
केवल एक बार
गुरु चरणन में शीश झुकाऊं।
-निधी बंसल
Soo true❤️
ReplyDeleteShukriya 🙏
ReplyDelete✌️
ReplyDeleteNice😍
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