कुचल के रख दिया उस नाचीज़ को जो दिल की सुना करता था ,
कुछ बात अलग थी उसकी
वो बचपन था जनाब जब मैं खुल के जिया करता था
जाम की जरूरत नही थी मुझे मैं सुकून से बारिश की बूंदे पिया करता था
कुछ बात अलग थी उसकी
वो बचपन था जनाब जब मैं खुल के जिया करता था
डर नही था दोस्त खोने का मुझे मैं उनसे बहुत झगड़ा किया करता था
कुछ बात अलग थी उसकी
वो बचपन था जनाब जब मैं खुल के जिया करता था
----©सूरज पांडेय
waah😊
ReplyDeleteThnks pagal 😘
DeleteArey bhai..mast...ek ek line perfect hai aur sahi bhi
ReplyDeleteThnk u bhaiya
Delete❤️❤️
ReplyDelete❤❤thnk u teddy
DeleteUff ❤👌👌strong words
ReplyDeleteThnks kreet production kya baat 😂
DeleteWow
ReplyDeleteThnks eyan da ❤
DeleteVery nice.. Keep writing.. ������
ReplyDeleteThnks alot 😊
DeleteDamn True...very well written :-)
ReplyDeleteThnk u di 😊😊 bus aap sab ki duaa rahe is bhi behtar likhunga
DeleteWo bachpan tha janab... Jab mai khul ke jiya karti this🌼💓
ReplyDeleteThnks alot 😊
DeleteSuperb
ReplyDeleteThnks bro keep reading nd supporting it's bcoz of u all readers why we write such a stuff
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